लगभग सवा साल पहले मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री पद की बागडोर संभालने के तत्काल बाद से ही मोहन यादव ने एक के बाद एक कई सख्त फैसले लेकर यह स्पष्ट संकेत दे दिए थे कि उनकी कार्यशैली के बारे में किसी को भी कोई संदेह नहीं रहना चाहिए।यह सिलसिला पिछले सवा साल से अनवरत रूप से जारी है। मुख्यमंत्री मोहन यादव के बारे में एक बात और निश्चित रूप से कहीं जा सकती है कि उनके कठोर फैसले भी उनके सात्विक आचार विचार को प्रतिबिंबित करते हैं । मध्यप्रदेश में धार्मिक स्थलों के आसपास वाले जिलों में शराब की बिक्री को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने की उन्होंने जो सराहनीय पहल की है उसका मूल्यांकन भी इसी दृष्टि से किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री की इस स्तुत्य पहल ने उन्हें भूरि भूरि प्रशंसा का हकदार बना दिया है और अब तो यह मांग भी उठने लगी है कि मुख्यमंत्री को संपूर्ण प्रदेश में शराब की बिक्री को प्रतिबंधित करने की दिशा में गंभीरता से विचार करना चाहिए । इसमें दो राय नहीं हो सकती कि मुख्यमंत्री ने धार्मिक स्थलों में शराबबंदी को लेकर राज्य सरकार की आबकारी नीति में संशोधन के जो संकेत दिए हैं उसमें उन्हें समाज के हर वर्ग का भरपूर समर्थन मिलने में किंचित मात्र भी संदेह की गुंजाइश नहीं है।मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि आगामी एक अप्रैल अर्थात नये वित्तीय वर्ष से इस संबंध में नयी नीति पर अमल किया जा सकता है। मुख्यमंत्री का मानना है कि सरकार धार्मिक स्थलों की पवित्रता अक्षुण्ण होनी चाहिए। निकट भविष्य में राज्य के जिन धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है उनमें उज्जैन (महाकालेश्वर मंदिर),अमरकंटक (नर्मदा उदगम स्थल) , महेश्वर( नर्मदा नदी के किनारे प्राचीन मंदिर) ओरछा ( रामराजा मंदिर) ओंकारेश्वर (ज्योतिर्लिंग), मंडला (नर्मदा घाट), मुलताई ( ताप्ती नदी) , दतिया( पीताम्बरा पीठ) जबलपुर ( नर्मदा घाट) , चित्रकूट( रामघाट) ,मैहर ( शारदादेवी मंदिर ) , सलकनपुर( बीजासन मंदिर) मंडलेश्वर ( नर्मदा घाट), मंदसौर( पशुपतिनाथ मंदिर) ,बरमान(नर्मदा घाट) और पन्ना( जुगल किशोर मंदिर) शामिल हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि साधु संतों ने शराब के कारण धार्मिक स्थलों की पवित्रता प्रभावित होने से रोकने के लिए इन धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करने हेतु अनुरोध किया था , सरकार उनके सुझावों पर अमल करते हुए जल्द ही धार्मिक नगरों में शराबबंदी का फैसला कर सकती है। मुख्यमंत्री के अनुसार सरकार के इस फैसले से होने वाले राजस्व के नुकसान की भरपाई के लिए इन नगरों की सीमाओं के बाहर शराब दुकानें खोलने की अनुमति देने के बारे में आबकारी अधिकारी मंथन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में मध्यप्रदेश के दो पड़ोसी राज्यों बिहार और गुजरात में शराबबंदी लागू है और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल में ही जब यह बयान दिया था कि नशा नाश का कारण बनता है तभी से वहां भी शराब बंदी लागू किए जाने की अटकलें लगाई जाने लगी हैं यद्यपि इस बारे में अभी कोई ठोस फैसला नहीं किया गया है। गौरतलब है मध्यप्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती भी राज्य में शराबबंदी की मांग करती रही हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने जब नर्मदा सेवा यात्रा निकाली थी तब उन्होंने भी नर्मदा नदी के तटीय क्षेत्रों में 6 किलोमीटर की सीमा के अंदर शराब और मांस की दुकानें बिक्रीपर रोक लगाने की घोषणा की थी । यहां भी विशेष उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री मोहन यादव ने गत वर्ष सितंबर में अधिकारियों को पवित्र नर्मदा नदी के तट पर बसे धार्मिक नगरों में शराब और मांस की बिक्री एवं सेवन पर सख्ती से रोक लगाने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री के नये आदेश को गत वर्ष सितंबर में दिये गये उनके आदेश के विस्तारित रूप में देखा जा रहा है। सितंबर में उन्होंने पवित्र नर्मदा नदी के तटीय इलाकों में शराब और मांस की बिक्री और सेवन रोकने के आदेश दिए थे और अब मुख्यमंत्री ने उसका दायरा बढ़ाते हुए राज्य के 17 धार्मिक नगरों में शराबबंदी लागू करने की मंशा व्यक्त की है । मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पिछले सवा साल में जिस तरह न केवल सख्त फैसले लिए हैं बल्कि उनका क्रियान्वयन भी सुनिश्चित किया है उसे देखते हुए यह माना जा सकता है कि अब वह दिन दूर नहीं जब मध्यप्रदेश के सभी धार्मिक नगरों में शराबबंदी को सख्ती से लागू कर सरकार उन धार्मिक नगरों की पवित्रता को बनाए रखने में कोई कसर बाकी नहीं रखेगी।