संघ प्रमुख ने दिया धर्म की व्यापक अवधारणा पर जोर

मोहन भागवत ने अपनी बात को और स्पष्ट करते हुए कहा कि अतीत में भारत पर बाहरी आक्रमण बड़े पैमाने पर होते थे इसलिए लोग सतर्क रहते थे परन्तु अब ये आक्रमण विभिन्न रूपों में हो रहे हैं। भागवत ने भगवान राम के हाथों ताड़का वध और भगवान कृष्ण के द्वारा पूतना वध की घटनाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि पूतना मौसी बनकर कृष्ण को स्तन पान कराने आई थी परन्तु कृष्ण ने उसका अंत कर दिया। संघ प्रमुख ने कहा कि जिन लोगों को इस बात से डर लगता है कि भारत की प्रगति से उनके कारोबार बंद हो जाएंगे ऐसे तत्व भारत की प्रगति के मार्ग में बाधाएं पैदा करने के लिए योजनाबद्ध तरीके से हमले कर रहे हैं चाहे वे शारीरिक हों तो अदृश्य लेकिन उनसे डरने की जरूरत नहीं है। उनके प्रयास सफल नहीं होंगे। शिवाजी के समय में भी यही स्थिति थी।जब भारत के उत्थान की कोई उम्मीद नहीं थी

कृष्णमोहन झा