आधुनिक युग के आदर्श नेतृत्वकर्ता शिवाजी महाराज- संघप्रमुख

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत  हनुमान को पौराणिक आदर्श और शिवाजी महाराज को आधुनिक आदर्श मानते हैं। संघ प्रमुख ने हाल में नागपुर में शिवाजी पर सुमंत  टेकाडे  द्वारा लिखित पुस्तक  'युगंधर शिवराय' का विमोचन करते हुए कहा कि शिवाजी महाराज हमेशा ही राष्ट्र और समाज के हित में कार्यरत रहे जो उन्हें आधुनिक युग में एक आदर्श नेतृत्वकर्ता बनाता है। संघ प्रमुख ने कहा कि शिवाजी न केवल वीर योद्धा थे अपितु कुशल रणनीतिकार और सुशासन के प्रतीक भी थे । 17 वीं सदी में मराठा साम्राज्य की स्थापना करने वाले शिवाजी ऐसे प्रथम योद्धा थे जिन्होंने विदेशी आक्रमणों के खिलाफ मजबूत समाधान दिया। भारत में लगातार युद्धों में हारने का दौर सिकंदर के समय शुरू हुआ और इस्लाम फैलाने के नाम होने वाले हमलों तक जारी रहा।इन हमलों से भारत की व्यवस्थाओं को नष्ट किया जाता रहा। इस समस्या का समाधान खोजने में विजय नगर और राजस्थान के शासक भी असफल रहे । 17 वीं शताब्दी में जब शिवाजी महाराज ने  मराठा साम्राज्य की स्थापना की तब   यह सिलसिला समाप्त हुआ। उन्होंने इस चक्र को तोड़ा और अपनी रणनीति से आत्मरक्षा की नई दिशा दी इसीलिए उन्हें युगपुरुष कहा जाता है।

                   संघ प्रमुख ने शिवाजी महाराज को युगपुरुष बताते हुए कहा कि उन्होंने मुगल आक्रमण सहित देश में निरंतर हो रहे हमलों को रोकने का काम किया।शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के बाद विदेशी आक्रमणकारियों के युग का अंत होने लगा। संघ प्रमुख ने कहा कि शिवाजी को औरंगजेब ने आगरा में जहां  कैद कर रखा था वहां से भाग कर उन्होंने अपने  वे सभी इलाके मुक्त करा लिए जो शांति समझौते के तहत छोड़ने पर उन्होंने सहमति जताई थी। शिवाजी ने सभी खोए हुए इलाके जीत कर उन पर अपना आधिपत्य स्थापित किया। संघ प्रमुख ने कहा कि शिवाजी के संघर्ष से प्रेरित होकर बुंदेलखंड में छत्रसाल, राजस्थान में दुर्गा दास के नेतृत्व में राजपूत शासक और बिहार में चक्र ध्वज सिंह ने मुगल शासकों को पीछे धकेलना शुरू किया। संघ प्रमुख ने  कि शिवाजी महाराज से प्रभावित होकर चक्र ध्वजसिंह ने एक अन्य राजा को पत्र लिखकर शिवाजी महाराज को आदर्श मानने और उनकी रणनीतियों का अनुसरण करने के लिए प्रेरित किया था। संघ प्रमुख ने कहा कि शिवाजी महाराज की प्रेरणा आज भी प्रासंगिक है। स्वामी विवेकानंद और रवींद्र नाथ टैगोर सदृश महान व्यक्तित्वों ने भी उनसे प्रेरणा ली । संघ प्रमुख ने कहा कि दक्षिण भारत में एक अभिनेता ने शिवाजी महाराज पर केंद्रित एक फिल्म में काम किया था। उसके बाद उनका नाम गणेशन से बदलकर शिवाजी गणेशन हो गया। संघ प्रमुख ने कहा कि संघ व्यक्ति पूजा में विश्वास नहीं रखता लेकिन यदि भौतिक रूप में आदर्श मानना हो तो पौराणिक काल में हनुमानजी एवं आधुनिक काल में शिवाजी महाराज हमारे आदर्श रहे हैं। आते हैं

          संघ प्रमुख ने कहा कि शिवचरित्र लोगों के मनोरंजन के लिए नहीं बना है वरन् शिवाजी महाराज का आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात करने के लिए बना है। मोहन भागवत ने कहा कि जब स्व . डॉ  सुमंत टेकाडे ने जब छत्रपति शिवाजी का अध्ययन किया तो वे शिवचरित्र से पूर्णतः एकाकार हो गये थे इसीलिए जब वे शिवचरित्र की कथा सुनाते  तो उनके शब्द सीधे श्रोताओं के हृदय को झकझोरते थे । उनके मगन-मस्तिष्क  को प्रभावित करते थे। संघ प्रमुख ने अपनी इस बात को रेखांकित किया कि वक्ता के भाषण पर ताली बजाने अथवा लेखक की पुस्तक  की प्रशंसा होने से वक्ता अथवा लेखक की सफलता का मूल्यांकन नहीं किया जा सकता । उनके विचारों से जब लोग कार्य के प्रवृत्त हो  जाते हैं उसी में लेखक के  सृजन की सार्थकता है। शिवचरित्र हमें सतत संघर्ष की प्रेरणा देता है इसीलिए शिवाजी महाराज को  युग प्रवर्तक ,युगंधर  और युगपुरुष कहा जाता है। एक व्यक्ति और राजा के रूप में शिवाजी महाराज का चरित्र अनुकरणीय है।

(लेखक राजनैतिक विश्लेषक है)

कृष्णमोहन झा